विद्युत धारा class 10th Bihar Board notes in hindi

class 10th physics chapter 2 विद्युत धारा notes in hindi 

             CLASS 10th Bihar Board
           Physics chapter 2 विद्युत धारा 



1. विधुत आवेश क्या है? विधुत आवेश कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-विधुत आवेश-आवेश कुछ मौलिक कणों का अकाट्य गुण जिसके कारण आवेशित कण आपस में बल लगाते हैं। अगर ऊन द्वारा एबोनाइट के छड़ को रगड़ा जाए तो ऊन पर धन आवेश और एबोनाइट पर ऋण आवेश मुक्त होते हैं। आवेश दो प्रकार के होते हैं धन आवेश और ऋण आवेश।


2. विधुत धारा क्या है ? विधुत धारा का SI मात्रक लिखें।
उत्तर-विधुत आवेश के प्रवाह की दर को विधुत धारा कहते हैं। अगर किसी चालक तार से t सेकेण्ड में Q आवेश बहती है, तो धारा I = Q/t
अगर Q कुलॉम में और समय सेकेण्ड में लिया जाय तो विधुत धारा एम्पीयर में होगी।


 विधुत धारा का S.I. मात्रक एम्पियर है।

3. विधुत परिपथ का क्या अर्थ है?’
उत्तर-आवेश के सतत प्रवाह के लिए बने बंद रास्ते को विधुत परिपथ कहा जाता है।

4. विधुत बल्ब का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर –

5. विधुत विभव और विभवांतर में क्या अंतर है ?
उत्तर- विधुत विभव– इकाई धन आवेश को अनंत से विधुतीय क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में सम्पादित कार्य को उस बिंदु पर का विभव कहते हैं। इसका S.I. मात्रक वोल्ट है।

विभवांतर-दो बिंदुओं के बीच के विभवों के अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका भी S.I. मात्रक वोल्ट है।

6. विधुत शक्ति की परिभाषा लिखें। 
उत्तर- कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। अगर कोई कार्यकर्ता t सेकेण्ड में W कार्य करे तो

शक्ति = W/t

अथवा ऊर्जा के उपभुक्त होने की दर को शक्ति कहते हैं।

शक्ति P को इस प्रकार व्यक्त करते हैं –

P = VI

अथवा P = VI = I2R =V2 /R इसका S.I मात्रक वाट है।

7. विधुत धारा की दिशा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- परिपाटी के अनुसार किसी विधुत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों जो ऋणावेशित हैं के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विधुत धारा की दिशा मानी जाती है।

8. विधुत प्रतिरोधकता क्या है तथा इसका S.I. मात्रक लिखें।
उत्तर- विधुत प्रतिरोधकता किसी पदार्थ की अभिलाक्षणिक गुण है। धातओं और मिश्रधातुओं के विधुत प्रतिरोधकता अत्यंत कम होती है।

विधुत प्रतिरोधकता का S.I मात्रक ओम-मीटर ( Ω-m ) है।

9. विधुत परिपथ में फ्यूज तार का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर- घर में लगे साधित्रों की सरक्षा के लिए फ्यूज तार लगाया जाता है। यह उच्च विधुत धारा के कारण तार गल कर परिपथ को भंग करता है और साधित्रों (रेडियो, टीवी, बल्ब आदि) को जलने से बचाता है।

10. विधुत संचरण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐलुमीनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर-कॉपर तथा ऐलुमिनियम तारों का उपयोग इसलिए किया जाता है कि इनका विधुत प्रतिरोधकता अन्य तारों की अपेक्षा काफी कम होती है। कॉपर की प्रातराधकता 1.62Ω मीटर और ऐलमीनियम की प्रतिरोधकता 2.63Ω मीटर है। साथ ही अन्य धातुओं की तुलना में यह आसानी से उपलब्ध होता है। अधिक महँगे भी नहीं होते हैं।

11. एक वोल्ट की परिभाषा दें।
उत्तर- यदि किसी विधुत धारावाही चालक के दो बिंदुओं के बीच एक कूलाम आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में 1 जूल कार्य किया जाता है तो उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट होता है।

12. कुलॉम का नियम क्या है ?
उत्तर- दो आवेश के बीच लगनेवाला बल उन दो आवेशों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है|

13. प्रतिरोध क्या है ? इसका SI मात्रक लिखें। 
उत्तर -जब परिपथ में विधुत धारा बहती है तो चालक के अन्दर उपस्थित इलेक्ट्रोनों पर आवेश के टक्कर के फलस्वरूप ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है और धारा के बहने में रुकावट डालती है। अतः प्रतिरोध एक ऐसा गुण धर्म है जो किसी चालक में इलेक्ट्रोनों के प्रवाह का विरोध है। यह विधुत धारा के प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसका SL मात्रक ओम है।

14. चालक, अचालक, अर्द्धचालक एवं अति चालक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर–
*चालक:-
जिन धातुओं के तार से विधुत धारा प्रवाहित होती है उन्हें चालक कहा जाता है।

जैसे- लोहा, ताँबा आदि के तार विधुत के अच्छे चालक हैं।

*अचालक:-
जिन पदार्थों (धातुओं) के तार से विधुत धारा का प्रवाह नहीं होता है उन्हें अचालक कहा जाता हैं

जैसे- एबोनाइट के छड़ तथा ऊन और सूती धागे से विधुत का प्रवाह नहीं होता है। ये विधुत के अचालक कहे जाते हैं। .

*अर्द्धचालक:-
 ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता (σ) चालक पदार्थ की चालकता से कम और कुचालक पदार्थ की चालकता से अधिक हो अर्द्धचालक कहे जाते हैं।

जैसे—कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम आदि।

*अतिचालक:-
अतिचालक ऐसे पदार्थ हैं जिनमें अति निम्न ताप पर धारा प्रवाहित करने पर बिना प्रतिरोध के अर्थात् बिना ऊर्जा क्षय के धारा बहती रहती है। ऐसे पदार्थ से धारा प्रवाह में विधुत ऊर्जा का नाश नहीं होता है।

जैसे- बेरियम और लैथनम से बना सेरामिक से धारा का प्रवाह निर्वाध गति से होता रहता है।

15. घरेलू विधुत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
 उत्तर- घरों में बल्ब, पंखे अन्य विधुत उपकरण पार्श्वक्रम में संयोजित रहते हैं। सभी उपकरणों के दोनों छोरों के बीच विभवांतर समान रहता है। एक के फ्यूज करने पर दूसरे में धारा का प्रवाह बंद नहीं होता है। उपकरणों के परिपथ में श्रेणी बद्ध जोड़ने पर हरेक उपकरणों में कम विभवांतर का संचार होने लगता है। एक बल्ब अगर फ्यूज कर जाए तो परिपथ में धारा का बहना बंद हो जायेगा। यही कारण है कि घरेलू विधुत परिपथों में श्रेणी बद्ध संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता है।

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